1.1
प्राक्-शास्त्री (प्रथम
वर्ष)
में
प्रवेश के नियम
प्राक्-शास्त्री प्रथम वर्ष में प्रवेश के लिये वे सभी विद्यार्थी पात्र होंगे, जिन्होनें मान्यता
प्राप्त बोर्ड से दसवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की हो। इसके अतिरिक्त जिन विद्यार्थियों ने
पूर्व-मध्यमा (द्वितीय-खण्ड) अथवा विद्या-अधिकारी की परीक्षा उत्तीर्ण की हो, वे भी प्राक्-शास्त्री
प्रथम वर्ष में प्रवेश के पात्र होंगे।
1.2 प्राक् षास्त्री (द्वितीय वर्ष) में प्रवेश के नियम
प्राक्-शास्त्री द्वितीय वर्ष में प्रवेश के लिये केवल मात्र, वे छात्र पात्र होगें, जिन्होनें
प्राक् - शास्त्री प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो।
आयु सीमा
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्र संख्या 4-20/2015-एच.पी.यू (शै०) दिनांक 23 जून, 2017 के
अनुसार प्राक्-शास्त्री, शास्त्री, विशिष्ट शास्त्री, तथा आचार्य कक्षाओं में आयु सीमा के वे सभी
नियम मान्य होंगे, जिनका उल्लेख हि०प्र० विश्वविद्यालय के अध्यादेश में अनुच्छेद 3.3 (ए) में किया
गया है।
2.1 शास्त्री
(Proficiency in Sanskrit) का अभिप्राय
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अधिनियम 2002, Vol. 1, Chapter, 5.3 (एल) तथा Chapter 8.80-81 की
अन्तः व्याख्याओं के अनुसार शास्त्री (Proficiency in Sanskrit) का अभिप्राय ऐसे पाठ्यक्रम से है,
जिसमें विद्यार्थी निर्धारित समयावधि में केवल संस्कृत के ही विभिन्न पाठ्यक्रकमों का अध्ययन करता
है। क्योंकि ये पाठ्यक्रम केवल एक ही विषय (संस्कृत) तक सीमित होते हैं, इसलिए ऐसे पाठ्यक्रम को
पढ़कर उत्तीर्ण हुआ विद्यार्थी स्नातक (B.A) के समकक्ष नहीं माना जाता है। इसीलिए शास्त्री
(Proficiency in Sanskrit) की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाला विद्यार्थी स्नातकोत्तर (MA) की कक्षा में
प्रवेश का पात्र नही माना जाता है। परन्तु हि०प्र०वि०वि० के अध्यादेश, 2002, Vol.1,8.77 की व्याख्या
के अनुसार शास्त्री उत्तीर्ण / शास्त्री अनुपूरक परीक्षा वाला विद्यार्थी आचार्य प्रथम वर्ष की
कक्षा में प्रवेश ले सकता है।
2.2 शास्त्री (Proficiency in
Sanskrit) में प्रवेष के नियम
शास्त्री प्रथम वर्ष (Proficiency in Sanskrit) में प्रवेश के लिये वे सभी विद्यार्थी पात्र होंगे,
जिन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से प्राक्-शास्त्री (प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष) की परीक्षा
उत्तीर्ण कर ली हो। इसके अतिरिक्त वे सभी विद्यार्थी भी शास्त्री (Proficiency in Sanskrit) में
प्रवेश के पात्र होंगे, जिन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत /मानित अन्य
संस्थानों से प्राक् शास्त्री (प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष) अथवा संस्कृत विषय सहित तत्समकक्ष परीक्षा
अथवा संस्कृत विषय सहित 10+2 की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो।
2.3
विषेष टिप्पणी
परन्तु यदि शास्त्री (Proficiency in Sanskrit) में उर्तीण विद्यार्थी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
के अध्यादेश 2002, खण्ड-1, अनुच्देछ 8.80 तथा 8.81 (ii) के अनुसार स्नातक (B.A) स्तर पर पढ़ें जाने
वाले English (Elective) तथा संस्कृत विषय के अतिरिक्त B.A स्तर पर पढ़े जाने वाले किसी एक अन्य
Elective विषय (Subject) की परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है तो उसे हि०प्र०वि०वि द्वारा दी जाने वाली
B.A की उपाधि
तो दी जायेगी, परन्तु कोई श्रेणी (Division) नहीं दी जायेगी।
2.4 आयु सीमा
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्र संख्या 4-20/2015- एच.पी.यू (शै०) दिनांक 23 जून 2017 के
अनुसार प्राक-शास्त्री, शास्त्री, विशिष्ट शास्त्री, तथा आचार्य कक्षाओं में आयु सीमा के वे सभी
नियम मान्य होंगे, जिनका उल्लेख हि०प्र० विश्वविद्यालय के अध्यादेश में अनुच्छेद 3.3 (ए) में किया
गया है।
3- विशिष्ट शास्त्री
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अध्यादेश 2002, खण्ड-1 अनुच्छेद 8.70 तथा 8. 71 के अनुसार विशिष्ट
शास्त्री का अभिप्राय ऐसे पाठ्यक्रम से है, जिसमें विद्यार्थी विशिष्ट शास्त्री की निर्धारित
समयावधि में संस्कृत-पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त दो संस्कृत भिन्न पाठ्यक्रमों का भी अध्ययन करता है।
इन दोनों संस्कृत-भिन्न पाठ्यक्रमों में से English का पाठ्यक्रम B.A स्तर पर पढ़ें जाने वाले
पाठ्यक्रम के समान प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ना होगा। English के अतिरिक्त B.A स्तर पर पढ़े जाने
वाले एक अन्य Elective Additional विषय का चयन विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार कर सकता है। परन्तु
यह Elective Additional विषय विशिष्ट शास्त्री में पढ़े जाने वाले संस्कृत के पाठ्यक्रम के विषय से
भिन्न होना चाहिये।
4. अतिरिक्त अनिवार्य /
संस्कृत-भिन्न विषय (Non-Sanskrit Subjects)
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अधिनियम 8.70, 8.71 तथा 8.72 के अनुसार विशिष्ट शास्त्री के इच्छुक
विद्यार्थी के लिये यह आवश्यक है कि वह प्रथम से पष्ठ पाण्मासिकी पर्यन्त अथवा तीनों वर्षों में दो
संस्कृत-भिन्न विषयों का अध्ययन अतिरिक्त अनिवार्य / संस्कृत भिन्न विषयों के रुप में करेगा। इन
दोनो विषयों की प्रतिष्ठायें (Credits) BA कक्षाओं में निर्धारित की हुई प्रतिष्ठाओं (Credits) के
समान होंगी। गत वर्षों की भांति यदि कोई विद्यार्थी अतिरिक्त अनिवार्य / संस्कृत भिन्न विषयों के
बिना शास्त्री परीक्षा केवल संस्कृत विषयों के साथ ही उत्तीर्ण करता है तो उसे केवल शास्त्री
(Proficiency in Sanskrit) घोषित किया जायेगा। ऐसे विद्यार्थी MA की कक्षा में प्रवेश के लिये पात्र
नहीं माना जायेगा।